हल्द्वानी – सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज की सरकारी व्यवस्था को बताया ईमानदारी की मिसाल, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की टीम को सामाजिक कार्यकर्ता कर रहे है नमन।

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हल्द्वानी – सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज की सरकारी व्यवस्था को बताया ईमानदारी की मिसाल, हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज की टीम को सामाजिक कार्यकर्ता कर रहे है नमन।

हल्द्वानी। यूँ तो सरकारी व्यवस्थाओं पर अक्सर उंगलियां उठाया जाना आम बात है, लेकिन कुछ विभागों मे ऐसे लोग भी है जों मानवता की मिसाल कायम कर रहे है, जिनको आम और खास लोग नमन करने पर विवश हो जाते है। ऐसी ही ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज से आ रही है, जिसको अल्मोड़ा के सामाजिक कार्यकर्त्ता संजय पांडे बयां कर रहे है।

सामाजिक कार्यकर्त्ता संजय पांडे ने बताया बीते दिनों प्रो. अरुण जोशी और उनकी समर्पित टीम से मुलाक़ात का अवसर मिला। हृदय रोग विभाग में प्रो. जोशी न केवल मरीजों को गहराई से समझते हैं, बल्कि इको मशीन का संचालन भी स्वयं करते हैं, जों सेवा-भावना की जीवंत मिसाल है । उन्होंने बताया हड्डी रोग प्रमुख प्रो. पंकज सिंह, न्यूरो और यूरो विभाग की डॉक्टर टीम सभी सीमित संसाधनों में भी पूरे ईमानदारी और मानवीय संवेदना के साथ सेवा दे रहे हैं। उन्होंने बताया यह जानकर और भी प्रसन्नता हुई कि यहाँ MRI और CT Scan जैसी सुविधाएं सरकारी दरों पर उपलब्ध हैं। जो आमजन, खासकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लिए बड़ी राहत हैं। उन्होंने कहा सबसे सराहनीय बात यह है कि यहाँ कई ऐसे जरूरतमंद मरीजों का भी निःशुल्क इलाज किया जाता है, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, यहाँ तक कि वे आयुष्मान या BPL कार्डधारी भी नहीं होते। डॉक्टरों की टीम मानवता को सर्वोपरि मानकर ऐसे मरीजों को भी सम्मान और समर्पण के साथ उपचार देती है यही असली चिकित्सा सेवा है। उन्होंने कहा कुछ निचले स्तर के कर्मियों द्वारा मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर मोड़ने की शिकायतें भी मिलीं है । जिनको प्राचार्य के समक्ष रखा गया । उन्होंने तत्काल जांच और आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

श्री पांडे ने बताया आज जब चिकित्सा सेवा धीरे-धीरे व्यवसायिक स्वरूप लेती जा रही है, ऐसे में हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज जैसी संस्थाएं एक उम्मीद की लौ और प्रेरणा हैं। उन्होंने प्रो. अरुण जोशी और उनकी पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि उनकी टीम ने यह सिद्ध कर दिखाया कि जब इरादे नेक हों, तो संसाधन बाधा नहीं, सफलता की सीढ़ी बनते हैं।

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