वैदिक संस्कृति का नवीन अध्याय, नवपीढ़ी ने संस्कृत के प्रति जगाई आशाएं,जनपदीय संस्कृत प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन।
चंपावत। राजकीय बालिका इंटर कालेज लोहाघाट में कनिष्ठ वर्ग की जनपदीय प्रतियोगिता का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष आनन्द सिंह अधिकारी, सीईओ एम एस बिष्ट, नगर पालिका अध्यक्ष गोविंद वर्मा, बीईओ घनश्याम भट्ट, पूर्व प्रधानाचार्य वासुदेव ओली, दीप पुनेठा,सुभाष जोशी ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन हरीश चन्द्र कलौनी एवं प्रकाश चन्द्र उपाध्याय ने किया। जनपद संयोजक वेद प्रकाश पंत, सह संयोजक सामश्रवा आर्य, चारों खंड संयोजक तथा भगवान जोशी ने सभी अतिथियों का भावपूर्ण स्वागत किया। जनपद में संपन्न हुई संस्कृत प्रतियोगिताओं ने यह प्रमाणित किया है कि बदलते समय में भी हमारी युवा पीढ़ी अपनी जड़ों को भूलने के लिए तैयार नहीं है। जनपदीय प्रतियोगिता का यह दृश्य आश्वस्त करता है कि तकनीकी विस्तार और डिजिटल शिक्षा के बीच भी संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा अपनी गरिमा, उपयोगिता और प्रासंगिकता बनाए हुए है। प्रतियोगिता मंच पर खड़े वे बच्चे, जिनकी वाणी में संस्कृत का प्रवाह था, केवल प्रस्तुति नहीं दे रहे थे, वरन वे संस्कृति की मशाल आगे बढ़ा रहे थे।
सभी अतिथियों ने कहा कि इस आयोजन की सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि बच्चे केवल कंठस्थ श्लोक दोहराने तक सीमित नहीं हैं। उनकी भाषा में समझ की गहराई और अभिव्यक्ति में आत्मविश्वास स्पष्ट दिखाई दी। संस्कृत श्लोकोच्चारण से लेकर नाट्य-अभिनय और वाद-विवाद तक, हर विधा में उन्होंने यह संकेत दिया कि यह भाषा एक बोझ या औपचारिकता नहीं, बल्कि उनके लिए गर्व की पहचान है। वक्ताओं ने कहा कि आज जब वैश्विक स्तर पर भारत की ज्ञान-परंपरा की चर्चा हो रही है, संस्कृत का महत्व और बढ़ गया है। संस्कृत सिर्फ धार्मिक या शास्त्रीय भाषा नहीं, यह गणित, खगोल, चिकित्सा, साहित्य, व्याकरण, दर्शन और तर्क का मूल है। इसलिए विद्यालयों में ऐसे आयोजन नई पीढ़ी को न केवल भाषाई दक्षता देते हैं बल्कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान से भी जोड़ते हैं। इस प्रतियोगिता ने यह भी दिखाया कि शिक्षक जब संकल्पित हों और बच्चे प्रेरित करें, तो भाषा की सीमाएं नहीं रहतीं, केवल संभावनाएं रह जाती हैं।जनपद का यह आयोजन इसी संभाव्यता का सुंदर उदाहरण बना।
मंच से गूंजती संस्कृत वाणी ने हमें याद दिलाया कि भारत की आत्मा केवल इतिहास की पुस्तकों में नहीं, बल्कि स्कूलों के इन छोटे-छोटे मंचों पर भी जीवित है। यदि ऐसे आयोजन निरंतर जारी रहे, तो संस्कृत का भविष्य केवल सुरक्षित ही नहीं, उज्ज्वल भी होगा। यह प्रतियोगिता उसी उज्ज्वल भविष्य की एक सशक्त शुरुआत है।
मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष आनन्द सिंह अधिकारी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से बच्चों की नैसर्गिक प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है। कार्यक्रम के सफल आयोजन में सह संयोजक सामश्रवा आर्य, खंड संयोजक राजू शंकर जोशी, गोपाल दत्त पंतोला, पंचदेव पाण्डे, कमल जोशी, भगवान जोशी आदि ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम में निर्णायक एवं अभिलेखीकरण में डॉ अवनीश शर्मा, हेम पाण्डेय, हरीश चन्द्र कलौनी, हरिहर भट्ट, नवीन जोशी, विद्यासागर लोहनी, नरेन्द्र नाथ गोस्वामी, ललित मोहन, ओम प्रकाश, बसंत पाण्डेय, दीपा पाण्डेय, प्रकाश चन्द्र उपाध्याय, दिनेश जोशी, प्रदीप ढ़ेक, भुवन चंद्र पंत, सुभाष गोस्वामी आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

