अस्सी के दशक के नब्बे वर्षीय “अवधेश मास्साब” हुए सम्मानित वर्ष 1973 से 78 तक जीआईसी में आदर्श शिक्षक रहे है अंग्रेजी प्रवक्ता अवधेश सिंह

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अस्सी के दशक के नब्बे वर्षीय “अवधेश मास्साब” हुए सम्मानित वर्ष 1973 से 78 तक जीआईसी में आदर्श शिक्षक रहे है अंग्रेजी प्रवक्ता अवधेश सिंह।

➡️ सहयोगियों और शिष्यों ने सुनाए रोचक संस्मरण.

➡️ सैंतालीस साल बाद पहुचे पुराने कार्यस्थल.

चम्पावत (उत्तराखंड)। अस्सी के दशक में जीआईसी चम्पावत के आदर्श शिक्षक और विलक्षण प्रतिभा के धनी नब्बे वर्षीय अवधेश सिंह (अवधेश मास्साब) का सैंतालीस साल बाद अपने कार्यस्थल पहुचने पर उनके सहयोगियों और शिष्यों ने शाल ओढाकर सार्वजनिक सम्मान करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को अविस्मरणीय बताया।शिवा रेजीडेंसी में आहुत कार्यक्रम गुरु शिष्य परंपरा के साथ ही सहयोगियों के आत्मीय लगाव का जीता जागता उदाहरण बना।

दर्जा राज्यमंत्री श्याम नारायण पांडेय के मुख्य आतिथ्य और राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक डा• भुवन जोशी के संचालन में वक्ताओं ने अवधेश मास्साब की बहुमुखी प्रतिभा के तमाम संस्मरण और उनके योगदान तथा गुरु शिष्य परंपरा के तमाम पहलुओं को विस्तार से साझा कर पुरानी यादें तरोताजा कर दी और वर्तमान और उस समय की शैक्षिक व्यवस्था को लेकर चर्चा परिचर्चा की। अवधेश सिंह वर्ष 1973 से 1978 तक जीआईसी में तत्कालीन प्रधानाचार्य बलवंत सिंह कोरंगा के सानिध्य में अंग्रेजी प्रवक्ता के तौर पर कार्यरत रहे लेकिन हिंदी संस्कृत और संगीत शिक्षा में उनकी पकड़ का जिक्र भी हुआ। तबले पर उनकी थाप और स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने का उनका गुण कई फनकार अभी भूले नहीं है।

इस मौके पर नब्बे वर्षीय अवधेश सिंह में आज भी युवा जोश की उमंग व तरंग के साथ ही जबरदस्त याददाश्त देखने को मिली। उन्होंने सभी का आभार जताते हुए पुराने उन सभी पहलुओं को तरोताजा किया और कहा कि भले ही वह सैंतालीस साल बाद यहां आये है लेकिन चंपावत की यादें हर दिन उनके साथ हैं, और ऐसा कोई दिन नहीं होता जब यहां की चर्चा न हो तथा किसी व्यक्ति से उनकी मोबाइल पर बात न हो। उनके ओजस्वी विचारों ने पुराने सेवानिवृत्त हो चुके सहयोगियों और शिष्यों में युवा जोश भर दिया। इस आयोजन के अगुवा पूर्व बैक मैनेजर मुन्ना गिरी गोस्वामी ने कहा कि उनके योगदान को कभी नहीं विस्मृत किया जा सकता है। सहयोगी और रुम पाटनर्र रहे नाथू राम राय और उमाकांत राय ने कहा कि उनकी प्रेरणा से वह पढाने के साथ ही अपनी पढाई भी जारी रख सके और परास्नातक की पढाई भी पूरी की।

वंशीधर फुलारा,इंद्र सिंह बोहरा, रमेश पांडेय, धर्म सिंह अधिकारी, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश पांडेय आरसेटी के पूर्व निदेशक जनार्दन चिलकोटी, एडवोकेट शंकर पांडेय, डा• तिलक राज जोशी डा• डीएन तिवारी, व्यापार संध के जिलामंत्री कमल राय ने भी पुरानी यादों का पिटारा खोला। इस मौके पर पूर्व प्रधानाचार्या चंपा जोशी, डा कीर्ती बल्लभ सक्टा,चतुर सिंह चौधरी, पत्रकार प्रह्लाद नेगी, कुलदीप राय, एडवोकेट सुधीर साह, श्याम कार्की, सुरेश जोशी, दलीप मेहता, मिथिलेश कुमार सहित तमाम गणमान्य लोग मौजूद रहे ।

 

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