टनकपुर: भागवत कथा के छठे दिन सुनाया गया कंस वध और रुक्मणि विवाह का प्रसंग, भगवान के जयकारों से गूंज उठा कथा पंडाल।
टनकपुर (चम्पावत) । नगर के रामलीला मैदान में नवयुवक रामलीला कमेटी द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के छठे दिन कथा व्यास पलक किशोरी ने भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों का वर्णन करते हुए कंस वध और रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई।
कथा व्यास ने कहा कि जब कंस के अत्याचारों से संपूर्ण पृथ्वी त्राहि-त्राहि कर रही थी, तब देवताओं व पृथ्वीवासी भगवान से प्रार्थना करने लगे। तभी भगवान ने मानव रूप में श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। कंस को पहले से ही आभास था कि उसका वध श्रीकृष्ण के ही हाथों होगा। इसी भय से उसने बाल्यकाल से ही अनेक प्रयास कर कृष्ण को मारने की कोशिश की, लेकिन हर प्रयास असफल रहा।
कंस ने अपने सेनापति अक्रूर के माध्यम से मल्ल युद्ध का आयोजन करवा कर मात्र 11 वर्ष की अल्पायु में ही कृष्ण और बलराम को मथुरा बुलाया। वहां शक्तिशाली पहलवानों और पागल हाथियों के जरिए उन्हें मौत के घाट उतारने की साजिश रची, मगर सभी प्रयास विफल हुए और वे स्वयं श्रीकृष्ण-बलराम के हाथों मारे गए। अंततः भगवान श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। कंस वध के पश्चात उन्होंने अपने माता-पिता वसुदेव-देवकी और मथुरा नरेश उग्रसेन को कारागार से मुक्त कर सम्मान लौटाया।
कथा व्यास पलक किशोरी ने आगे रुक्मिणी विवाह प्रसंग का भी वर्णन किया। उन्होंने बताया कि माता लक्ष्मी का अवतार रुक्मिणी विदर्भ साम्राज्य के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। रुक्मिणी का हृदय श्रीकृष्ण को अर्पित था, लेकिन उनके पिता व भाई इस विवाह के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने रुक्मिणी के स्वयंवर में जरासंध और शिशुपाल जैसे शक्तिशाली राजाओं को आमंत्रित किया। यह समाचार सुनकर रुक्मिणी ने दूत के माध्यम से अपना संदेश श्रीकृष्ण तक पहुंचाया। श्रीकृष्ण ने रणनीति और पराक्रम से शत्रुओं का सामना किया और युद्ध के बाद रुक्मिणी का अपहरण कर उनसे विवाह संपन्न किया।
इस दौरान रामलीला कमेटी के अध्यक्ष पंकज अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजय गर्ग, उपाध्यक्ष कल्पना आर्य, संस्थापक विशाल अग्रवाल, नीरज सिंह, गौरव गुप्ता, कोषाध्यक्ष अमित परवेज, मेला संचालक हरीश भट्ट, प्रतिभा अग्रवाल, पूनम कोहली, गीता गुप्ता, सुषमा गुप्ता, दीप्ति सिंह, दीपक राय, राहुल देऊपा मौजूद रहे।