अल्मोड़ा – उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग में अयोग्य विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के गंभीर मामले का आरटीआई कार्यकर्त्ता चंद्रशेखर जोशी के माध्यम से हुआ बड़ा खुलासा।
अल्मोड़ा – उत्तराखंड के अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। आरोप है कि कई स्थानों पर ऐसे डॉक्टरों को विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया, जिनके पास न तो आवश्यक विशेषज्ञता (PG डिग्री) थी और न ही उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल (UMC) का अनिवार्य पंजीकरण। यह गंभीर मामला भी आरटीआई कार्यकर्ता चंद्र शेखर जोशी द्वारा उजागर किया गया है, जिन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर तुरंत जांच और कार्रवाई की मांग की है।
➡️ मामले की पृष्ठभूमि-
28 अप्रैल 2025 को स्वास्थ्य विभाग ने 45 विशेषज्ञ डॉक्टरों की अस्थायी तैनाती का आदेश जारी किया। लेकिन बताया जा रहा है दस्तावेज़ों की जांच में सामने आया कि कई डॉक्टरों ने UMC पंजीकरण नहीं कराया था। कुछ डॉक्टरों ने अभी तक PG भी उत्तीर्ण नहीं किया था। ऐसे डॉक्टरों की तैनाती NMCA Act 2019 और उत्तराखंड चिकित्सक व्यवसाय अधिनियम 2005 के खिलाफ है। श्री जोशी का कहना है कि कानून स्पष्ट कहता है कि बिना पंजीकरण चिकित्सा अभ्यास करना दंडनीय अपराध है।
➡️ मुख्य तथ्य जो सामने आए-
45 में से 10 डॉक्टर ही तैनाती के समय विशेषज्ञ के रूप में योग्य पाये गए । 08 डॉक्टर तैनाती के 8 महीने बाद भी योग्यता/पंजीकरण पूरा नहीं कर सके। 02 डॉक्टर आज तक PG उत्तीर्ण नहीं कर पाए हैं। ये तथ्य स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाते हैं।
➡️ गर्भवती महिला की मौत का मामला –
तैनात चिकित्सकों में शामिल एक महिला चिकित्सक की पोस्टिंग जिला चिकित्सालय, सितारगंज में की गई थी। शिकायत में आरोप है कि उपचार के दौरान जटिलता को सही से संभाल न पाने के कारण एक गर्भवती महिला की मौत हो गई। इसे अयोग्य और अपंजीकृत डॉक्टर की तैनाती का दुखद परिणाम बताया जा रहा है।
➡️ शिकायतकर्ता की प्रमुख मांगें-
आरटीआई कार्यकर्ता ने 28 अप्रैल 2025 के आदेश के तहत हुई सभी विशेषज्ञ तैनातियों की निष्पक्ष जांच कराये जाने, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई व अयोग्य डॉक्टरों की तैनाती कराने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई किये जाने, अयोग्य डॉक्टरों की तैनाती तुरंत निरस्त किये जाने, जो डॉक्टर पंजीकृत या योग्य नहीं हैं उनकी तैनाती तत्काल प्रभाव से रद्द किये जाने, भविष्य में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती से पहले सख्त व्यवस्था किये जाने, UMC/NMC पंजीकरण, PG योग्यता,और दस्तावेज़ों की पूरी जांच अनिवार्य किये जाने कि मांग की है।
आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर जोशी नें बताया यह मामला स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।अयोग्य डॉक्टरों की तैनाती जनता के जीवन और स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार जल्द कार्रवाई कर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और स्वास्थ्य व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगी।

