अल्मोड़ा – राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की बदहाल स्थिति और जिलाधिकारी की असफलताओं पर संजय पाण्डे ने उठाये गंभीर सवाल।

खबर शेयर करें -

अल्मोड़ा – राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की बदहाल स्थिति और जिलाधिकारी की असफलताओं पर संजय पाण्डे ने उठाये गंभीर सवाल।

अल्मोड़ा। अल्मोड़ा के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने पंडित हर गोविंद पंत जिला चिकित्सालय परिसर में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय की अत्यंत दयनीय स्थिति और प्रशासन की गंभीर लापरवाही को लेकर राज्य के उच्चाधिकारियों के समक्ष शिकायती पत्र प्रस्तुत किया है।

संजय पाण्डे ने बताया कि यह आयुर्वेदिक चिकित्सालय शहर के मध्य में स्थित होने के बावजूद लंबे समय से आवश्यक दवाओं और चिकित्सा सेवाओं की कमी के कारण मरीजों के लिए अनुपयोगी साबित हो रहा है। उन्होंने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और राज्यपाल के संज्ञान मे लाने का प्रयास किया है।

उन्होंने बताया अस्पताल में आवश्यक दवाओं का लगातार अभाव है, मरीज पर्ची तो ले सकते हैं, लेकिन दवाएँ उपलब्ध नहीं होतीं, जिससे उन्हें मजबूर होकर निजी दुकानों से महंगी दवाएँ खरीदनी पड़ती हैं। पंचकर्म जैसी विशिष्ट आयुर्वेदिक चिकित्सा सुविधा लंबे समय से बंद। यह सेवा केवल कागज़ी योजनाओं और रिपोर्टों में दर्ज है, जबकि वास्तविकता में मरीजों को वंचित रखा गया है।

जब संजय पाण्डे ने इस संबंध में जिला आयुर्वेदिक अधिकारी डॉ. मोहम्मद शाहिद से भेंट की, तो उन्होंने समस्या को हल करने के बजाय गोलमोल जवाब दिया और कहा कि “अस्पताल में हमारे पास अतिरिक्त कमरा नहीं है।” यह तर्क न केवल हास्यास्पद है बल्कि यह भी दर्शाता है कि अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। दवाओं और चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता का संबंध किसी कमरे से नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति और जवाबदेही से है। उन्होंने कहा जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा शहरवासियों की वास्तविक आवश्यकताओं की अनदेखी की जा रही है। जिला अस्पताल परिसर के भीतर आयुर्वेदिक चिकित्सालय की व्यवस्था सुधारने के बजाय केवल कागज़ी योजनाओं में समय व्यर्थ किया जा रहा है।

संजय पाण्डे ने इस स्थिति को जन स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ करार दिया।उन्होंने कहा कि इससे बड़ी विडंबना यह है कि स्थानीय अधिकारी और जिलाधिकारी मिलकर सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। सरकार का उद्देश्य आयुष चिकित्सा को मजबूत करना है, इसके लिए योजनाएँ और बजट दोनों उपलब्ध हैं, परंतु जमीनी स्तर पर लोगों तक इसका लाभ पहुँचाने में पूरी तरह असफलता झलक रही है।

उन्होंने राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय मे आवश्यक दवाओं की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने, पंचकर्म एवं अन्य आयुर्वेदिक चिकित्सा सेवाएँ शीघ्र प्रारंभ किये जाने, शहर के भीतर उपयुक्त भवन की पहचान कर चिकित्सालय के लिए स्थायी समाधान किये जाने और इस गंभीर लापरवाही और असफलता के लिए संबंधित अधिकारियों एवं जिलाधिकारी की भूमिका की उच्चस्तरीय जाँच कर कठोर कार्यवाही किये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा अगर उपरोक्त मांगों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सूचना का अधिकार के माध्यम से तथ्य उजागर करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल करेंगे।

Breaking News

You cannot copy content of this page