उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी गाँवों में परिवहन व्यवस्था की आज भी है भयावह स्थिति, पर्वतीय क्षेत्रों की आवाज़ को किया जा रहा है अनसुना – आनन्द सिंह माहरा 

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उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी गाँवों में परिवहन व्यवस्था की आज भी है भयावह स्थिति, पर्वतीय क्षेत्रों की आवाज़ को किया जा रहा है अनसुना – आनन्द सिंह माहरा

चम्पावत। उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी गाँवों में परिवहन व्यवस्था की भयावह स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेश सचिव, उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी, आनंद सिंह माहरा ने कहा कि आज पर्वतीय क्षेत्रों की आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की अपनी विधानसभा चंपावत, विशेषकर टनकपुर, जहाँ उत्तर प्रदेश काल का ऐतिहासिक रोडवेज क्षेत्रीय कार्यालय संचालित रहा है, वहाँ आज परिवहन व्यवस्था बदहाल और उपेक्षित दिख रही है। आनंद सिंह माहरा का कहना है कि टनकपुर रीजनल ऑफिस के अंतर्गत आने वाले टनकपुर, लोहाघाट और पिथौरागढ़ डिपो कभी पूरे पर्वतीय क्षेत्र की जीवनरेखा थे। रोडवेज बसें पिथौरागढ़, धारचूला, गंगोलीहाट, थल-मुवानी, मुनस्यारी, झूलाघाट जैसे क्षेत्रों को दिल्ली, लखनऊ, हरिद्वार, देहरादून सहित बड़े शहरों से जोड़ती थीं। उस समय टैक्सी सुविधाएँ सीमित थीं और पूरा पहाड़ रोडवेज पर निर्भर रहता था।

उन्होंने कहा कि रोडवेज गाँवों की धड़कन था, जो सिमलखेत, रोसाल, पंचेश्वर, रीठा साहिब, देवीधुरा, वर्धाखान, मंच, तमली जैसे दुर्गम गाँवों में रोज़गार, शिक्षा, इलाज और आवश्यक सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करता था। लेकिन आज आनंद सिंह माहरा के अनुसार, विडंबना यह है कि जब क्षेत्र को मुख्यमंत्री मिला है, उसी समय परिवहन व्यवस्था सबसे बुरी स्थिति में है।जर्जर बसें पहाड़ चढ़ने में सक्षम नहीं है, ग्रामीण क्षेत्रों के रूट से रोडवेज लगभग गायब हों चुकी है, जनता को टैक्सियों में ठुंसकर सफर करने की मजबूरी है, डिपो खाली और कर्मचारी परेशान है।उन्होंने यह भी कहा कि जब पहाड़ को बसों की आवश्यकता है, तब करोड़ों रुपये एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय बस अड्डे (ISBT टनकपुर) पर खर्च किए जा रहे हैं जहाँ बसें ही नहीं हैं।

“बसें नहीं, तो भवन किसके लिए? यह कैसा विकास?”, आनंद सिंह माहरा ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब कांग्रेस सरकार में हरीश रावत मुख्यमंत्री थे, तब 65 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा दी गई थी। यह फैसला बुजुर्गों के लिए वरदान था, लेकिन आज बस सेवाएँ ही गाँवों तक नहीं पहुँच रहीं।आनंद सिंह माहरा ने कहा जब बसें ही उपलब्ध नहीं हैं, तो यह योजना कागज़ों में सिमटकर रह गयी है हमारे बुजुर्ग इस सुविधा का लाभ से वंचित है।उन्होंने परिवहन विभाग की वास्तविक जरूरतों को सामने रखते हुए कहा कि पिथौरागढ़ को 30 नई बसें चाहिए, लोहाघाट को 25 नई बसें चाहिए, टनकपुर को 50 नई बसों कि दरकार है। आनंद सिंह माहरा का कहना है कि यह किसी एक व्यक्ति की मांग नहीं, बल्कि पूरे पहाड़ की जनता यात्रियों, विद्यार्थियों, मजदूरों, माताओं और बुजुर्गों की सामूहिक पुकार है, जो आज भी सरकारी परिवहन पर निर्भर हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध करते हुए कहा कि पहाड़ को ढाँचे नहीं, व्यावहारिक सुविधाएँ चाहिए, बस स्टैंड नहीं, बसें चाहिए, खर्च नहीं बल्कि वास्तविक समाधान चाहिए। उन्होंने कहा कि चंपावत, पिथौरागढ़ और लोहाघाट की जनता सम्मानजनक, सुरक्षित और सुलभ परिवहन सेवा की हकदार है, और यह हक उन्हें तुरंत दिया जाना चाहिए।

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