चंपावत में रंग कारवां का उल्लेखनीय कार्य- नई शिक्षा नीति को जमीन पर उतारती पहल: चंपावत में “रंग कारवां” की रचनात्मक मुहिम, रंग, रंगमंच और शिक्षा के संग नई चेतना। 

खबर शेयर करें -

चंपावत में रंग कारवां का उल्लेखनीय कार्य- नई शिक्षा नीति को जमीन पर उतारती पहल: चंपावत में “रंग कारवां” की रचनात्मक मुहिम, रंग, रंगमंच और शिक्षा के संग नई चेतना।

चम्पावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड सरकार नई शिक्षा नीति को ज़मीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करने हेतु बहुआयामी प्रयास कर रही है। इन प्रयासों में केवल शासकीय योजनाएं ही नहीं, बल्कि सामाजिक संगठनों, सामुदायिक भागीदारी और नवाचार आधारित पहल को भी बराबर प्रोत्साहन दिया जा रहा है। चंपावत जनपद में कार्यरत एक उल्लेखनीय सामाजिक संस्था ‘रंग कारवां’ इसका जीवंत उदाहरण बन चुकी है।

‘रंग कारवां’ एक गैर-लाभकारी संस्था है, जो कला, रंगमंच और साहित्य के ज़रिए बच्चों, युवाओं और महिलाओं को शिक्षा, आत्मबल और सामाजिक चेतना से जोड़ने का कार्य कर रही है। संस्था विशेष रूप से नई शिक्षा नीति के उन मूल तत्वों पर कार्यरत है जिनमें कला-आधारित शिक्षण, जीवन कौशल, सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा (Social-Emotional Learning) तथा मूलभूत साक्षरता व संख्याज्ञान (Foundational Literacy and Numeracy) को प्राथमिकता दी गई है। संस्था की टीम ने जिलाधिकारी मनीष कुमार से भेंट कर संस्था द्वारा चंपावत जनपद में संचालित गतिविधियों की विस्तारपूर्वक जानकारी साझा की।

जिलाधिकारी ने संस्था के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए इसे समाज में सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया। उन्होंने कहा “इस प्रकार की पहलें नई शिक्षा नीति की आत्मा को साकार करती हैं। रंग कारवां जैसी संस्थाएं हमारे शिक्षा तंत्र का पूरक बनकर जमीनी स्तर पर परिवर्तन की नई कहानी लिख रही हैं। जिला प्रशासन हर संभव सहयोग हेतु तत्पर रहेगा।” जिलाधिकारी ने टीम से संस्था की कार्यप्रणाली, पाठ्यक्रम की संरचना, समुदाय की भागीदारी तथा भविष्य की योजनाओं के विषय में जानकारी ली और सुझाव भी दिए कि संस्था सरकारी स्कूलों और ग्राम स्तर पर अधिक समावेशी गतिविधियों की दिशा में भी कार्य करे।

रंग कारवां की टीम में वर्तमान में 20 से अधिक स्थानीय सदस्य सक्रिय रूप से कार्यरत हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं हैं। वर्ष 2021 से सक्रिय यह संस्था न केवल बच्चों व युवाओं को केंद्र में रखकर कार्य कर रही है, बल्कि इसके सदस्य स्वयं भी निरंतर सीखने की प्रक्रिया से जुड़े रहते हैं। ये स्थानीय सदस्य समुदाय की आवश्यकताओं के अनुरूप नवाचारी तरीकों से शिक्षा को सरल, रुचिकर और प्रभावशाली बनाने में जुटे हैं। संस्था द्वारा 3 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए पाठ्यक्रम के अंतर्गत किताबों, थिएटर, कहानी, चित्रकला, लोककला और खेलों के माध्यम से शिक्षा दी जाती है। यह प्रक्रिया बच्चों में न केवल सीखने की जिज्ञासा जगाती है बल्कि उन्हें रचनात्मकता और सामाजिक समझ से भी समृद्ध करती है।

संस्था न केवल सरकारी स्कूलों में शिक्षण कार्यक्रम चला रही है, बल्कि मुख्यालय के पास स्थित एक मुख्य पुस्तकालय और आसपास के गाँवों में पॉप-अप लाइब्रेरीज़ का भी संचालन कर रही है। इन केंद्रों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को पुस्तक-संपन्न, रचनात्मक और संवादधर्मी वातावरण में सीखने का अवसर प्राप्त हो रहा है। इसके अतिरिक्त, रंग कारवां स्थानीय महिलाओं और युवाओं के लिए कौशल विकास, नेतृत्व निर्माण और करियर मार्गदर्शन से संबंधित कार्यशालाएँ भी आयोजित करती है। इन आयोजनों के ज़रिए प्रतिभाओं को मंच, मार्गदर्शन और आत्मबल प्राप्त होता है। ‘रंग कारवां’ जनसहभागिता और समुदाय-आधारित प्रयासों पर विश्वास करती है। यह संस्था पूर्णतः निःशुल्क सेवाएं प्रदान करती है और सभी नागरिकों से आग्रह करती है कि वे इस शिक्षा और सशक्तिकरण के जनांदोलन से किसी भी रूप में जुड़ सकते हैं। ‘रंग कारवां’ न केवल शिक्षा का एक नवाचारी मॉडल प्रस्तुत कर रही है, बल्कि चंपावत जैसे सीमावर्ती क्षेत्र में समावेशी, संवेदनशील और सशक्त समाज की नींव भी रख रही है।

Breaking News

You cannot copy content of this page