वन विभाग की नई पहल से रोजगार, विकास एवं विरासत को मिलेंगे नए आयाम, लोहाघाट के वीरान पड़े वन विभाग के भवन ईको टूरिज्म के जरिए उगलेंगे रुपए।

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वन विभाग की नई पहल से रोजगार, विकास एवं विरासत को मिलेंगे नए आयाम, लोहाघाट के वीरान पड़े वन विभाग के भवन ईको टूरिज्म के जरिए उगलेंगे रुपए।

लोहाघाट। वन विभाग जिले में पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों को एक ईको पर्यटन के रूप में विकसित कर क्षेत्रीय विकास, रोजगार एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल करने जा रहा है। डीएफओ नवीन चंद्र पंत की पहल यदि रंग ला गई तो वह दिन दूर नहीं जब लोहाघाट पीजी कॉलेज के समीप देवदार बनी के बीच स्थित सिल्वीकल्चर वन विभाग के वीरान पड़े कार्यालय एवं आवासीय भवन ईको टूरिज्म के जरिए न केवल लोहाघाट को वैश्विक पहचान देंगे बल्कि स्थानीय रोजगार का एक सशक्त माध्यम भी बनेंगे। आज वन एवं पर्यावरण दर्जा राज्य मंत्री श्याम नारायण पांडे ने उक्त स्थल का निरीक्षण कर डीएफओ की इस अद्भुत परिकल्पना के लिए उनके प्रयासों की सराहना की। डीएफओ ने बताया कि इस स्थान को ऐसी शक्ल दी जाएगी कि दिल्ली, मुंबई आदि स्थानों से आने वाले पर्यटक स्वयं को प्रकृति के चमत्कार में दुनियादारी भूल जाएंगे। उन्होंने बताया कि यहां सर्वत्र प्राकृतिक वैभव छिपा हुआ है, जिसे एक ईको पर्यटन के रूप में विकसित करने की पहल की गई है। इस डेस्टिनेशन के साथ मानेश्वर एवं नलिया को भी जोड़ा जा रहा है। इसका प्रबंधन उच्च स्तर के प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा किया जाएगा। दर्जा राज्य मंत्री श्री पांडे ने बताया कि वन विभाग द्वारा ऐसी नई पहल की गई है, जिसमें विभागीय धनराशि से इस स्थान का कायाकल्प किया जाएगा तथा इसी की आय से इसके भविष्य की नींव रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि वन विभाग नए दौर एवं नई सोच के साथ भविष्य की संभावनाओं को जमीनी रूप दे रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना के अनुसार मॉडल जिले को पर्यटन के क्षेत्र में ऐसी पहचान दी जा रही है, जिससे देश-विदेश के पर्यटक यहां खिंचे चले आएंगे। श्री पांडे ने कहा कि जिले में पर्यटन की संभावनाओं को पंख लगाने के लिए स्थलीय निरीक्षण करना शुरू कर दिया गया है। इस अवसर पर नगरपालिका के चेयरमैन गोविंद वर्मा, आशीष राय, भाजपा मंडल अध्यक्ष गिरीश कुंवर, पूर्व मंडल अध्यक्ष एम एस बोहरा भी मौजूद थे। उन्होंने डीएफओ एवं दर्जा राज्य मंत्री के प्रयासों को क्षेत्र के लिए मील का पत्थर बताया।

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