लोकल फ़ॉर वोकल को प्रोत्साहित करने में लगे हैं 36वी बटालियन आई०टी०बी०पी के हिमवीर, पिरूल से डेकोरेशन आइटम बनाये जाएंगे बटालियन की पहचान- कमांडेंट
लोहाघाट। आई०टी०बी०पी के कमांडेंट संजय कुमार द्वारा लोकल फॉर वोकल को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। हिमवीर जहां देश की रक्षा व सुरक्षा के साथ उच्च हिमालयी छेत्रो के स्थानीय लोगों को आधुनिक कृषि ज्ञान विज्ञान से जोड़कर उनका आर्थिक स्तर ऊँचा करने के प्रयास में लगे हुए है, वही हिमवीर बटालियन के समीप वर्ती गाँवो के उत्पाद की खपत करने के प्रयास में भी लगे हुए है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एल० आर ०एन० एम द्वारा गठित माही” स्वंय सहायता समूह गोसनी खेतीखान की महिलाओं द्वारा जंगली आग का कारण बने पिरूल से बने हस्त निर्मित सजावटी वस्तुओ की बटालियन में प्रदर्शनी लगाई गई।
हिमवीर वाइब्ज वेलफेयर एसोसिएशन ‘हावा” की चीफ पैटर्न अनुराधा सिंह की पहल पर हिमवीर महिलाओं ने न केवल इन उत्पादों को खरीदा बल्कि उन्होंने इन्हें बनाने में भी काफी दिलचस्पी ली है। श्रीमती अनुराधा सिंह का कहना था कि इन उत्पादों को बनाने के लिए “हावा” द्वारा उन्हें प्रशिक्षण देकर वह स्वयं भी इन उत्पादों को बनाएंगी। प्रदर्शनी में ब्लॉक मिशन मैनेजर रमेश पाटनी, सुनीता मौनी, मनीषा ने पिरूल से बनाए गए सजावटी सामान को बनाने की तकनीक की विस्तार से जानकारी दी कहां यहां आकर भी इसका प्रशिक्षण दे सकती हैं। कमांडेंट संजय कुमार ने माही समूह कि महिलाओं का स्वागत एवं आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बटालियन की महिलाये भी पिरूल से बनाए गए सजावटी वस्तु का स्वयं बनाकर इस उद्यम को बटालियन की “हावा” की पहचान बनाकर इन्हें अन्य बटालियनों मैं भी भेज कर न केवल इन वस्तुओं का प्रचार करेंगे बल्कि वहाँ की “हावा” टीम को भी ऐसा करने का प्रयास करने की भी पहल करेंगे।जिससे महिलाओं को रोजगार के साथ उन्हें सम्मान के साथ जीने का अवसर मिल सके।