पर्यावरण शिक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर चम्पावत के उदयन इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित हुआ एक दिवसीय कार्यक्रम।

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पर्यावरण शिक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर चम्पावत के उदयन इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित हुआ एक दिवसीय कार्यक्रम।

चम्पावत। जनपद चम्पावत के उदयन इंटरनेशनल स्कूल में “पर्यावरण शिक्षा और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण” विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विद्यालय प्रशासन के सहयोग और शिक्षकों के सक्रिय भागीदारी से ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी बना। कार्यक्रम में सीबीएसई से संबद्ध विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण विचार साझा किए।

कार्यक्रम का शुभारंभ परंपरागत रूप से दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य अशोक शर्मा, केंद्रीय विद्यालय संगठन के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य एवं कार्यक्रम के रिसोर्स पर्सन बासुदेव ओली, तथा जवाहर नवोदय विद्यालय के कंप्यूटर साइंस प्रवक्ता हरेंद्र ढेला ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।विद्यालय के बच्चों ने सरस्वती वंदना के साथ वातावरण को आध्यात्मिक और प्रेरक बनाया।

रिसोर्स पर्सन बासुदेव ओली ने अपने संबोधन में कहा कि आज पर्यावरण शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे जीवन का हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार जल, वायु और मृदा प्रदूषण ने धरती का संतुलन बिगाड़ दिया है और यदि आज की पीढ़ी को समय रहते शिक्षित नहीं किया गया तो भविष्य संकट में पड़ जाएगा। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे छात्रों को केवल पाठ्यपुस्तक से नहीं बल्कि प्रायोगिक गतिविधियों जैसे वृक्षारोपण, जल संरक्षण अभियानों और ऊर्जा बचत अभियानों से जोड़ें।

वही हरेंद्र ढेला ने पीपीटी के माध्यम से अपने वक्तव्य में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी साधनों के माध्यम से जल, ऊर्जा और वन संपदा का विवेकपूर्ण उपयोग संभव है। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सौर और पवन ऊर्जा के उपयोग की आवश्यकता पर विशेष बल दिया।

विद्यालय के प्रधानाचार्य अशोक शर्मा ने कहा कि उदयन इंटरनेशनल स्कूल सदैव शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक और पर्यावरणीय दायित्वों को भी प्राथमिकता देता आया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल शिक्षकों के लिए लाभकारी हैं बल्कि इनके माध्यम से छात्रों और समाज में भी सकारात्मक संदेश पहुंचता है। प्रशिक्षण में शामिल लोहाघाट के शशांक पाण्डेय ने प्लास्टिक मुक्त संसार पर आधारित अपने विचार रखे। प्रियंका धौनी ने समुद्र जीव जन्तुओं पर ख़तरे पर विचार रखे।

स्नेहा जोशी एवं बबीता जोशी ने कविता के माध्यम से पृथ्वी को बचाने पर जोर दिया। सूरज अधिकारी ने ऐसे कार्यक्रमों की महत्त्वता पर ज़ोर दिया।

इसके साथ ही विभिन्न विद्यालयों के शिक्षकों ने समूह चर्चा के माध्यम से अपने विचार साझा किए। शिक्षकों ने माना कि यदि छात्रों को प्रारंभिक स्तर से ही पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा दी जाए तो वे जीवन भर इसका पालन करेंगे। कुछ शिक्षकों ने अपने विद्यालयों में चलाए जा रहे प्लास्टिक मुक्त अभियान, वर्षा जल संचयन परियोजनाओं और जैविक खेती प्रयोगों के अनुभव भी साझा किए। इस अवसर पर विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें सभी अतिथियों और प्रतिभागियों ने मिलकर पौधे लगाए और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।

अंत में सभी उपस्थित शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने विद्यालयों और समाज में “प्रकृति बचाओ – भविष्य बचाओ” अभियान को आगे बढ़ाएंगे।

शशांक पाण्डेय ने बताया कि ऐसे कार्यक्रम चम्पावत जिले में पर्यावरण शिक्षा को नई दिशा देने वाला साबित हो सकते हैं। उन्होंने सीबीएसई की इस ट्रेनिंग को अत्यंत उपयोगी एवं प्रेरणादायी बताया। इस अवसर पर चंद्र भानु, पुष्पा विष्ट ,अनीता पाटनी, गौरव जोशी,रोहित रावत,हिमांशी भट्ट,मोनिका सौन,दीपांशु समेत कई शिक्षक मौजूद रहे।

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