बाराकोट के विकास धाम में अधिकारियों के दल ने मौन पालन कार्यक्रम को कुटीर उद्योग का रूप देने के लिए यहां स्थायी प्रशिक्षण केंद्र की तलाश की। 

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बाराकोट के विकास धाम में अधिकारियों के दल ने मौन पालन कार्यक्रम को कुटीर उद्योग का रूप देने के लिए यहां स्थायी प्रशिक्षण केंद्र की तलाश की।

➡️ ज्योलिकोट की तर्ज़ पर चंपावत जिले का अपना प्रशिक्षण केंद्र बनाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा की जा रही नई पहल।

चंपावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना के अनुसार मॉडल जिले में मौन पालन कार्यक्रमों को कुटीर उद्योग के रूप में विकसित करने के लिए ज्योलिकोट की तर्ज पर चंपावत जिले में मौन पालन प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना किये जाने के लिए बाराकोट ब्लॉक के विकास धाम का अधिकारियों द्वारा भ्रमण किया गया। कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हिमांशु जोशी, जिला उद्यान अधिकारी मोहित मल्ली के द्वारा यहां मौन पालन प्रशिक्षण केंद्र की संभावनाओं का जायजा लिया गया। विकासधाम इस स्थल है जहां पूर्व में हिमालयन अध्ययन केंद्र द्वारा यहां विभिन्न कार्यक्रमों के संचालन के लिए प्रशिक्षण दिए जाते रहे थे।

ढुंगा जोशी ग्राम के इस तोक में बने विकासधाम की ऐसी जलवायु है जो मौन पालन प्रशिक्षण केंद्र के लिए सबसे बेहतर मानी जाती है। इस स्थान के चारों ओर च्यूरा आदि में पेड़ होने के साथ लोग विभिन्न प्रकार की खेती करते आ रहे हैं। जिलाधिकारी नवनीत पांडेय के निर्देशन में सी.डी. ओ. संजय कुमार द्वारा की गई इस नायाब पहल को यदि पंख लगते हैं, तो इससे चंपावत जिले की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नए आयाम मिलेंगे।

विकासधाम का भ्रमण करने के बाद कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी हिमांशु जोशी ने बताया कि यह ऐसा रमणीय स्थल है कि जहां से “लर्निंग बाई डूइंग” यानी देखकर सीखने की अवधारणा को वास्तविकता के साथ जमीन पर उतारकर जिले में एक नई अवधारणा की शुरुआत की जा सकती है।

जिला उद्यान अधिकारी मोहित मल्ली के अनुसार इस स्थान को देखने के पश्चात मौन पालन प्रशिक्षण केंद्र के लिए इससे बेहतर अन्य कोई स्थान नहीं हो सकता। इस स्थान के चारों ओर वन उपवन, फल पौधों, च्यूरा आदि का प्राकृतिक फैलाव है, जो मौन पालन के लिए पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। उनका यह भी कहना है कि पूर्व की भांति यहां मौन पालन के लिए प्रशिक्षण एवं उत्पादन के लिए कार्य किया जा सकता है।

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