चम्पावत जनपद अन्तर्गत शारदा रेंज में प्रवासी पक्षियों का आगमन, वन विभाग शारदा रेंज का दो दिवसीय पक्षी सर्वेक्षण आयोजित।
टनकपुर (चम्पावत)। उत्तराखंड वन विभाग की शारदा रेंज द्वारा सम्पूर्ण प्रदेश में आयोजित उत्तराखंड बर्ड काउंट 2025 के दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत शारदा नदी तंत्र में व्यापक पक्षी सर्वेक्षण आयोजित किया गया। इस सर्वे में प्रभागीय वनाधिकारी हल्द्वानी वन प्रभाग एवं उप प्रभागीय वनाधिकारी, शारदा उप वन प्रभाग के निर्देशन एवं वन क्षेत्राधिकारी सुनील शर्मा के नेतृत्व में टीम ने शारदा घाट, शारदा बैराज एवं आसपास के जलीय-स्थलीय पर्यावासों में सघन अवलोकन कर पक्षियों की विविधता का आकलन किया। तराई-भावर क्षेत्र जैव विविधता के लिए सदा से ही महत्वपूर्ण माना जाता रहा है और इसी पारिस्थितिक महत्व के अनुरूप इस वर्ष भी पक्षियों की उल्लेखनीय संख्या दर्ज की गई।
सर्वेक्षण के दौरान टीम द्वारा 200 से अधिक पक्षी प्रजातियों की पुष्टि की गई, जिनमें स्थानीय एवं प्रवासी दोनों प्रकार की प्रजातियाँ सम्मिलित थीं। विशेष रूप से प्रवासी पक्षी रूडी सैल्डक (Ruddy shelduck) की बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज की गई, जो इस क्षेत्र के जलीय पारितंत्र की उत्कृष्टता को दर्शाती है। ज्ञातव्य है कि रूडी सैल्डक विश्व के लंबी दूरी तय करने वाले पक्षियों में से एक है, जो चीन, मंगोलिया, कज़ाकिस्तान और रूस जैसे देशों से हिमालयी क्षेत्रों की जलधाराओं तक पहुंचता है। इतने दूरस्थ देशों से इन पक्षियों का नियमित आगमन इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि शारदा रेंज का पारिस्थितिक वातावरण अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रवास मार्गों के लिए उपयुक्त और सुरक्षित है।
बताया जा रहा है अधिक संख्या में पक्षियों का पाया जाना क्षेत्र की सुदृढ़ जैव विविधता, स्वस्थ आर्द्रभूमि, स्वच्छ जल स्रोत और संतुलित खाद्य श्रृंखला का प्रत्यक्ष संकेतक है। प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति यह भी स्पष्ट करती है कि शारदा नदी तंत्र में प्रदूषण का स्तर न्यूनतम है तथा वन विभाग द्वारा किए जा रहे संरक्षण प्रयास सकारात्मक परिणाम दे रहे हैं। लगातार निगरानी, अवैध शिकार पर नियंत्रण, आर्द्रभूमि संरक्षण, सामुदायिक जागरूकता तथा संयुक्त गश्त जैसी गतिविधियों ने इस क्षेत्र को पक्षियों के लिए सुरक्षित आवास के रूप में स्थापित किया है।
इस सर्वेक्षण में वन दरोगा मुनेश सिंह राणा, सुनील भागुनी, वन आरक्षी पूजा चौहान, निकिता गैरोला, नेहा राणा, मुल्कीराज, साथ ही कौशल, इन्द्र सिंह, डूंगर सिंह, हसनैन, मखदुम सहित कई वन कर्मियों ने सक्रिय सहभागिता की। टीम की समन्वित मेहनत से प्राप्त यह उपलब्धि उत्तराखंड की पारिस्थितिक धरोहर और संरक्षण प्रतिबद्धता की दिशा में एक अच्छी पहल बताई जा रही है।

