विभिन्न मांगो को लेकर वन बीट अधिकारियों व वन आरक्षियों का धरना प्रदर्शन जारी, मांगे पूरी होनें तक आंदोलन जारी रखने का किया ऐलान।
टनकपुर (चम्पावत)। विभिन्न मांगो को लेकर वन बीट अधिकारियों व वन आरक्षियों नें आंदोलन का परचम लहरा दिया है। वन बीट अधिकारी / वन आरक्षी संघ चम्पावत के बैनर तले तमाम कर्मचारियों नें दोगाड़ी वन परिसर में धरना प्रदर्शन कर अपनी मांगो को पूरा किये जाने की गुहार लगायी।
आंदोलित वन कर्मियों नें बताया विगत कई वर्षों से वन बीट अधिकारी/ वन आरक्षीयों की मांगों को अनदेखा किया जा रहा है। विगत वर्षों में उच्च स्तर को कई बार मांग पत्र भेजे गये, जिन पर कोई अमल नहीं हुआ। जिससे आक्रोषित वन कर्मियों नें आंदोलन का शंखनाद कर दिया है।
उन्होंनें मुख्यमंत्री को भेजे गये ज्ञापन में कहा कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ वन सेवा नियमावली 2016 में पुनः कुछ संशोधन के साथ लागू किये जाने की मांग करते हुए कहा कि वन आरक्षियों को 10 वर्ष की सेवा के स्थान पर 6 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर पदोन्नति की बाध्यता शत प्रतिशत की जाय तथा वन आरक्षी शैक्षिक अर्हता इण्टर मीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए जिसके फल स्वरूप राजस्व उपनिरीक्षक की भांति वन वीट अधिकारी / वन आरक्षी का ग्रेड पे 2000 के स्थान पर 2800 किया जा सके। वन आरक्षी वर्ष भर 24 घंटे एवम राजकीय अवकाशों में वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा करने हेतु प्रतिबद्ध रहता है। अतः उन्हें भी पुलिस विभाग की भाति 01 माह का अतिरिक्त वेतन दिया जाय। वन आरक्षी / वन बीट अधिकारी को जुर्म जारी करना. चालान काटना, फर्द बनाना, वनाग्नि काल 2025 में वन बीट अधिकारी को टीम प्रभारी के स्थान पर इनसीडेंट कमांडेंट की भूमिका आदि का अधिकार दिया गया है जो कि राजस्व विभाग में राजस्व उपनिरीक्षको व पुलिस विभाग में सहायक उपनिरीक्षको को प्राप्त है। उन्होंनें बताया अन्य राज्यों गुजरात बिहार एवं असम में वन आरक्षी को वर्दी पहनने के दौरान कन्धो पर स्टार प्रदान किया गया है इस लिए आवश्यक हैं कि वर्दी में संशोधन कर स्टार सम्मिलित किया जाय। जोखिम भत्ता-जैसा की वनाग्निकाल एवं गस्त के दौरान तथा मानव वन्यजीव संघर्ष की घटना होने पर जान का जोखिम बना रहता है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण विगत वर्ष अल्मोडा बिनसर में हुआ अग्निकांड है। वन विभाग के अन्तर्गत चौकी में रह रहे वन आरक्षी / वन बीट अधिकारी की चौकियां देखी जाय तो बहुत सुदूरवर्ती एकान्त जंगलों में होती है। जहाँ पर निवास करने लायक कोई भी सुविधा नहीं मिल पाती है। चौकियों को बीट अधिकारी के आवास के अतिरिक्त कार्यालीय कार्यों एवं आपात की स्थिति में अपराधी को गिरफ्त में रखने हेतु भी उपयोग किया जाता है। ऐसे में यह कतई न्यायोचित नहीं है कि उनके मिलने वाले आवास को निजी मानकर उनका आवास भत्ता काटा जाये । उन्होंनें कहा उपरोक्तानुसार हम सभी वन बीट अधिकारी / वन आरक्षी संघ चम्पावत आपसे विनम्र निवेदन करते है कि समस्त मांगों का निराकरण प्रदेश का मुखिया होने के नाते आप विधानसभा सत्र के दौरान पेश कर कर्मचारी हित में पूर्ण करवाने की कृपा करेगें।
इस दौरान बृज मोहन साहू, त्रिलोक चंद्र जोशी, मोहन सिंह धामी, विपिन आर्या, रवि कुमार, बसंती देवी, पंकज, ललित मोहन, अजय कुमार, संदीप कुमार, मोहन राम, रेनू परगाई, भुवन पंत के अलावा अन्य लोग मौजूद रहें।