सोरघाटी का सबसे अधिक रोमांचित करने वाला लोक उत्सव हिलजात्रा का पहली बार टनकपुर में हुआ आयोजन।
टनकपुर (चम्पावत)। हिलजात्रा अब कुमौड़ से निकलकर पहली बार टनकपुर पहुंची, जहाँ नशा मुक्ति अभियान को लेकर इसका आयोजन किया गया। पं जीबी पंत वेलफेयर फाउंडेशन की अगुवाई में हिलजात्रा राजाराम चौराहे से तुलसी राम चौक तक निकाली गयी। हालांकि सोरघाटी का लोकपर्व देश-विदेश तक ख्याति अर्जित कर रहा है। कहा जाता है कि कुमौड़ के महर भाइयों की वीरता से प्रभावित होकर नेपाल के राजा ने उन्हें मुखौटे भेंट किए। इन्हीं मुखौटों से आठूं पर्व के बाद हिलजात्रा का मंचन किया जाता है। हिलजात्रा और इसके प्रमुख पात्र लखिया भूत को फ्रांस के शोधकर्ता चार्ल्स फ्रेजर ने अपनी किताब ”आम आस्था इंडियन डिवोशन” में जगह दी है। गणतंत्र दिवस की परेड में भी उत्तराखंड की झांकी में लखिया भूत को शामिल किया जा चुका है।
लोक उत्सव हिलजात्रा में समय के साथ काफी बदलाव आया है। हिलजात्रा के प्रमुख पात्र भगवान शिव के प्रमुख गण लखिया भूत के आते ही मैदान पर सन्नाटा पसर जाता है।
हिलजात्रा के पात्रों में गल्या बैल, हिरन, पुतारियां के अलावा सबसे रोमांचक व मुख्य पात्र लखिया का बताया जाता है। जो सबसे अंत में चारो ओर चक्कर लगाने के बाद सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर वापस लौट जाता है।