इक्यावन शक्तिपीठों में से महत्वपूर्ण है चम्पावत जिले का मां पूर्णागिरि का धाम, अन्नपूर्णा चोटी पर स्थित है मां पूर्णागिरि का दरबार l

खबर शेयर करें -

इक्यावन शक्तिपीठों में से महत्वपूर्ण है चम्पावत जिले का मां पूर्णागिरि का धाम, अन्नपूर्णा चोटी पर स्थित है मां पूर्णागिरि का दरबार

चम्पावत l जिला मुख्यालय के चंपावत के टनकपुर से 25 किलोमीटर दूर अन्नपूर्णा चोटी पर मां पूर्णागिरि प्रसिद्ध धाम स्थित है l जहां प्रत्येक वर्ष होली के बाद 3 महीने का मेला संचालित होता है l यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा मेला बताया जाता है l जहां देश-विदेश से प्रत्येक वर्ष 40 लाख से अधिक श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं l

किवदंति के अनुसार दक्ष प्रजापति द्वारा हरिद्वार के कनखल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया l जहां उन्होंने सभी देवी देवताओं यक्ष गंधर्वों को आमंत्रित किया लेकिन मां सती के पति महादेव को उन्होंने आमंत्रित नहीं किया l भगवान शंकर की इच्छा के विपरीत मां सती अपने पिता राजा दक्ष के यहां यज्ञ में शामिल होने पहुंची l लेकिन उनके पिता दक्ष ने माता सती का तिरस्कार कर महादेव का अपमान किया l जिससे कुपित होकर मां सती हवन कुंड में ही कूद गई l कैलाश पति भगवान शंकर को जब इसका पता चला तो क्रोध में आकर उन्होंने मां सती के अंग को हवन कुंड से उठाकर आकाश मार्ग से विचरण करना शुरू कर दिया l लेकिन उनका आवेग लगातार तीव्र होता जा रहा था l तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर को खंडित किया l बताते हैं मां सती के 51 स्थान पर अंग गिरे l जहां आज शक्तिपीठ स्थापित है l चंपावत जिले की अन्नपूर्णा चोटी पर मां का “नाभि” अंग गिरा था l जो 51वे शक्तिपीठ मां पूर्णागिरि धाम के नाम से विश्व विख्यात है l

चैत्र माह में शुरू होने वाले मां पूर्णागिरि मेले में देश विदेश से लाखों तीर्थ यात्री मां के दरबार में पहुंचते हैं l मां के दर्शन से पूर्व तमाम भक्तजन टनकपुर की पवित्र शारदा नदी में आस्था की डुबकी लगाकर अपनी धार्मिक यात्रा की शुरुआत करते हैं l मान्यता है कि मां पूर्णागिरि धाम की यात्रा के बाद जब तक सिद्ध बाबा के दर्शन नहीं किए जाते, तब तक धार्मिक यात्रा पूरी नहीं मानी जाती l अपनी धार्मिक यात्रा को पूर्ण करने के लिए तमाम भक्तजन पडोसी देश नेपाल के महेन्द्रनगर और ब्रह्मादेव जाकर सिद्ध बाबा के दर्शन कर अपनी धार्मिक यात्रा पूरी करते हैं l

Breaking News

You cannot copy content of this page