बनबसा के ग्रामसभा गुदमी में भ्रष्टाचार की परतें खुलीं, जांच का पहला चरण पूरा, आरोपी पर जांच को प्रभावित करने के लगाये जा रहे हैं आरोप।
बनबसा (चम्पावत)। चम्पावत जिले के बनबसा के ग्रामसभा गुदमी में वित्त आयोग और मनरेगा से कराए गए कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की आशंका पर आखिरकार जांच शुरू हो गई है। खंड विकास अधिकारी चम्पावत के निर्देश पर मंगलवार को जांच टीम गांव पहुंची। टीम में सहायक विकास अधिकारी राकेश नाथ गोस्वामी, सहायक समाज कल्याण अधिकारी विपिन सिंह बिष्ट तथा ग्राम निर्माण विभाग के कनिष्ठ अभियंता वरुण कुमार गौतम मौजूद रहे। जांच की शुरुआत पंचायत भवन में हुई, जहां शिकायतकर्ता ललित कलोनी ने दर्जनों ग्रामीणों की मौजूदगी में लगाए गए सभी 12 बिंदुओं को विस्तार से रखा। ग्रामीणों ने भी खुलेआम कहा कि कार्यों में भारी अनियमितता हुई है और सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है।
जांच अधिकारियों ने पंचायत भवन व रामलीला मंच पर लगाए गए टाइल, स्वजल योजना से बने सामुदायिक शौचालय और ग्राम पंचायत निधि से बनी सड़कों का निरीक्षण किया। इन कार्यों की गुणवत्ता पर ग्रामीणों ने सवाल उठाए और मौके पर ही भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया। जांच के दौरान कथित आरोपी ने निरीक्षण को प्रभावित करने की कोशिश की और सड़कों का दौरा करवाया। वहीं जिम्मेदार अधिकारी द्वारा जांच के दौरान एक भी अभिलेख न लाना सवालों को खड़ा कर रहा हैं। जबकि खंड विकास अधिकारी के आदेश में यह साफ़ लिखा था कि सभी दस्तावेज़ जांच टीम को दिखाना अनिवार्य है। इससे संदेह और गहरा हो गया कि कहीं अभिलेख जानबूझकर छिपाए तो नहीं जा रहे। ग्रामीणों का कहना है कि बिना बिल और रिकॉर्ड के किए गए कार्य भ्रष्टाचार को साबित करते हैं। पंचायत भवन की छत से पानी टपकना और सिंचाई विभाग की भूमि पर शौचालय का निर्माण करना, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी द्वारा बिल न देना और आज कोई भी पेपर साथ न लाना पहले ही कई गड़बड़ियों को उजागर करता प्रतीत हो रहा है।
आज की कार्यवाही को जांच का पहला चरण माना गया है, जिसमें केवल सड़कें, पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय का निरीक्षण किया गया। शिकायत में दर्ज अन्य कार्यों की जांच अभी बाकी है। ग्रामवासियों ने मांग की है कि जांच को बीच में अधूरा न छोड़ा जाए और सभी बिंदुओं पर निष्पक्ष कार्रवाई हो। ताकि ग्रामसभा गुदमी में हुए वास्तविक भ्रष्टाचार की पूरी तस्वीर सामने आ सके । अब देखने वाली बात हैं कि जाँच में भ्रष्टाचार की परते खुल पाती हैं या नहीं, यह एक बड़ा सवाल हैं, अलबत्ता ग्रामीण मामले के खुलासे की उम्मीद लगाये बैठे हैं।