चिपको आंदोलन की जन्मदात्री, पर्यावरण एवं पेड़ो की रक्षा के लिए अपने प्राणो को न्योछावर करने को तत्पर गौरा देवी की जयन्ती पर माँ पूर्णागिरि पर्यावरण संरक्षण समिति की अध्यक्ष दीपा देवी ने उनका किया भावपूर्ण स्मरण।

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चिपको आंदोलन की जन्मदात्री, पर्यावरण एवं पेड़ो की रक्षा के लिए अपने प्राणो को न्योछावर करने को तत्पर गौरा देवी की जयन्ती पर माँ पूर्णागिरि पर्यावरण संरक्षण समिति की अध्यक्ष दीपा देवी ने उनका किया भावपूर्ण स्मरण।

टनकपुर (चम्पावत)। पर्यावरण एवं पेड़ों की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्योछावर करने को तत्पर गौरा देवी “चिपको आंदोलन” की जन्मदात्री उत्तराखंड की महान विभूति विश्व विख्यात पर्यावरणविद् परम् श्रद्धेय गौरा देवी की जयंती पर माँ पूर्णागिरि पर्यावरण संरक्षण समिति की अध्यक्ष दीपा देवी ने उनका भावपूर्ण स्मरण कर उनके पदचिन्हो पर चलने का संकल्प लिया।

अध्यक्ष दीपा देवी ने कहा महान पर्यावरणविद गौरा देवी का जन्म 25 अक्टूबर 1925 को उत्तराखंड के चमोली जिले के लाता गांव में हुआ था। इन्हें चिपको आन्दोलन की जननी माना जाता है। उस वक़्त गाॅंव में काफी बड़े-बड़े पेड़ -पौधे थे जो कि पूरे क्षेत्र को घेरे हुए थे। इनकी शादी कम उम्र में मेहरबान सिंह के साथ कर दी थीं , जो कि नज़दीकी गांव रेणी के निवासी थे। मेहरबान सिंह किसान को बहुत सारे कोड़ों की मार झेलनी पड़ी। शादी के 10 वर्ष उपरांत मेहरबान सिंह की मृत्यु हो जाने के कारण गौरा देवी को अपने बच्चों का लालन पालन करने में काफी दिक्कतें आई थीं। कुछ समय बाद “गौरा देवी” महिला मण्डल की अध्यक्ष भी बनी।

अलाकांडा में चंडी प्रसाद भट्ट तथा गोविंद सिंह रावत नामक लोगों ने अभियान चलाते हुए सन् 1974 में 2400 देवदार वृक्षों को काटने के लिए चिन्हित किया गया था। लेकिन गौरा देवी ने इनका विरोध किया और पेड़ों की रक्षा करने का अभियान चलाया, इसी कारण गौरा देवी चिपको वूमन के नाम से जानी जाती है।

गौरा देवी ने एक साक्षात्कार में कहा जंगल हमारी माता का घर जैसा है यहां से हमें फल, फूल, सब्जियां मिलती, अगर यहां के पेड़ – पौधे काटोगे तो निश्चित ही प्रकृति का कहर बाढ़ बनकर टूटेगा । हालांकि गौरा देवी अपने जीवन काल में कभी विद्यालय नहीं जा सकी थीं। लेकिन वो पर्यावरण के लिए सदैव समर्पित रही। उन्हीने बताया चिपको वूमन के नाम से जाने वाली गौरा देवी का निधन 66 वर्ष की उम्र में 04जुलाई 1991 में हो गया था। लेकिन उन्होंने चिपको आंदोलन की जो अलख जगाई वो पर्यावरण संरक्षण के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने कहा चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी की जयंती पर हम उभे श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके बताये रास्तों पर चलने का संकल्प लेते हैं।

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