राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर जिला सूचना कार्यालय में जिलाधिकारी मनीष कुमार की अध्यक्षता में विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन, पत्रकारों ने “बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण” पर विचार किये व्यक्त।
➡️ फैक्ट-चेकिंग और विश्वसनीयता पर केंद्रित रही राष्ट्रीय प्रेस दिवस गोष्ठी.
➡️ राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर जिला सूचना कार्यालय चम्पावत में गोष्ठी संपन्न.
चम्पावत। जिलाधिकारी मनीष पाण्डेय की अध्यक्षता और वरिष्ठ पत्रकार चंद्रबल्लभ ओली के संचालन में जिला सूचना कार्यालय के सभागार में आयोजित विचार गोष्ठी में जनपद के पत्रकारों ने इस वर्ष की थीम “बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण” पर अपने विचार व्यक्त किए। जिला सूचना अधिकारी धीरज कार्की ने जिलाधिकारी एवं सभी पत्रकारों का स्वागत व अभिनंदन करते हुए राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुभकामनाएं दीं। गोष्ठी में उपस्थित वरिष्ठ एवं युवा पत्रकारों ने प्रेस की विश्वसनीयता को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए सुझाव दिए और बदलते मीडिया परिदृश्य पर अपने अनुभव साझा किए।
गिरीश बिष्ट ने कहा कि पत्रकारिता को कभी भी निजी स्वार्थ से नहीं जोड़ना चाहिए। प्रेस की निष्पक्षता और विश्वसनीयता ही उसकी पहचान है। दिनेश भट्ट ने पोर्टल एवं प्रिंट मीडिया के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा का उल्लेख करते हुए कहा ‘खबर’ की जल्दबाजी में कई बार पुष्टि की कमी रह जाती है, जिससे बचना आवश्यक है।लक्ष्मण बिष्ट ने कहा कि पत्रकार का उद्देश्य गलत करना नहीं होता, बल्कि जनता की समस्याओं को उजागर कर समाधान की राह दिखाना होता है। जिसके लिए खबर की पुष्टि होना आवश्यक है। जगदीश बिष्ट ने हर स्तर पर प्रेस की विश्वसनीयता बनाए रखने पर बल दिया।
टनकपुर से पहुंचे पत्रकार मयंक पंत ने तथ्य सत्यापन में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी सूचना को खबर बनाने से पूर्व उसकी पूर्ण पुष्टि अवश्य की जानी चाहिए। मृदुल पांडे ने प्रशासनिक खबरों में विभागीय अधिकारियों से सत्यापन को प्राथमिकता देने की बात कही। पंकज पाठक ने सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। दिनेश पांडे ने कहा कि किसी भी खबर के प्रसारण से पूर्व उसके तथ्य की पूर्ण पुष्टि होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने समाज व जनता की वास्तविक आवाज को शासन तक पहुँचाने, ब्रॉडकास्टिंग एजेंसियों की भूमिका, सूचना की निष्पक्षता, पत्रकार की सजगता तथा सही जानकारी समय पर जनता तक पहुँचाने की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। ललित मोहन पांडे ने कहा कि यदि प्रेस की विश्वसनीयता नहीं, तो उसका कोई मूल्य नहीं। उन्होंने कहा कि भले ही प्रेस को संवैधानिक दर्जा नहीं प्राप्त है, पर लोकतंत्र में यह चौथा स्तंभ है। नागरिकों से प्राप्त सूचनाओं को प्रकाशित करने से पूर्व उनकी सत्यता अवश्य जाँची जानी चाहिए।
चंद्रशेखर जोशी ने कहा कि आज के दौर में पत्रकारिता में कई बार तथ्य की सामान्य जाँच तक किए बिना खबरें प्रकाशित हो जाती हैं, जिससे मीडिया की विश्वसनीयता प्रभावित होती है। उन्होंने misinformation और disinformation के अंतर को समझने तथा डिजिटल मीडिया में बिना सत्यापन के सामग्री प्रकाशित न करने की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही उन्होंने फैक्ट-चेकिंग को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात कहते हुए हर दिन प्रेस के और बेहतर होने की आशा व्यक्त की।जीवन बिष्ट ने पत्रकारिता की जिम्मेदारियों पर जोर देते हुए भारत की Reporters Without Borders रैंकिंग का उल्लेख कर गुणवत्ता सुधार की आवश्यकता बताई।
जिलाधिकारी मनीष कुमार ने सभी पत्रकारों को राष्ट्रीय प्रेस दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने सोशल मीडिया, इंटरनेट, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और वर्चुअल रियलिटी (VR) के दौर में पत्रकारिता के समक्ष उत्पन्न नई चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता आम जनता की आवाज है, और मीडिया की प्राथमिक भूमिका लोकहित एवं जनहित में कार्य करना है। विश्वसनीय, तथ्य-आधारित और संतुलित रिपोर्टिंग से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।कार्यक्रम में जिला सूचना कार्यालय के कार्मिकों सहित जनपद के सम्मानित पत्रकारगण उपस्थित रहे।

