सूबेदार मेजर (रिटायर्ड) स्व. टीकाराम पाण्डेय ‘ एकाकी ‘ जी की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर भारत नेपाल के कवि साहित्यकारों का हुआ ग्लोरियस एकेडमी बनबसा में संगम, काव्य गोष्ठी में कवि/साहित्यकार एकाकी जी का स्मरण कर दी गई श्रद्धांजलि।
बनबसा(चंपावत)- उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, कवि, सामाजिक कार्यकर्ता, सूबेदार मेजर (रिटायर्ड) स्व. टीकाराम पाण्डेय ‘ एकाकी ‘ जी की 11वीं पुण्यतिथि के अवसर पर ग्लोरियस एकेडमी विद्यालय बनबसा में वृहद काव्य गोष्ठी तथा मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें पड़ोसी देश नेपाल, टनकपुर, चकरपुर, बनबसा, खटीमा, पीलीभीत से दो दर्जन से अधिक कवि तथा शायर उपस्थित हुए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी कवियों ने एकाकी जी को उनकी 11वी पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनका स्मरण किया। साथ ही एक सैनिक होने के बावजूद साहित्य साधना में उनके द्वारा दिए गए बहुमूल्य योगदान को याद किया गया।जिसके उपरांत कवि राम रतन यादव ‘रतन’ ने सर्वप्रथम काव्य गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर किया।
ग्लोरियस एकेडमी प्रबंधक एवं आयोजक रविन्द्र पांडेय ‘पपीहा’ ने अपने पूज्य पिता जी की कुछ काव्य रचनाओं को प्रस्तुत किया एवं उनके जीवन के कुछ संस्मरणों को इस अवसर पर साझा किया।कार्यक्रम की अध्यक्षता नेपाल से पहुंचे गुगुल्डि वाड्ंमय प्रतिष्ठान, महेंद्रनगर के अध्यक्ष वीर बहादुर चंद ‘विश्राम’ द्वारा की गई। कार्यक्रम का सफल संचालन पीलीभीत उत्तर प्रदेश से पहुंचे सुप्रसिद्ध कवि सत्यपाल सिंह ‘सजग’ द्वारा किया गया। सजग ने अपने बेहतरीन संचालन से काव्य गोष्ठी में चार चांद लगा दिए।
कार्यक्रम का प्रारंभ विद्यालय के बाल कवियों की स्वरचित कविता पाठ के साथ हुआ। जिसमे विद्यालय की छात्रा रौशनी बिष्ट तथा सिमरन कुंवर द्वारा रचनाएं प्रस्तुत की गई।बाल कवियों की रचनाओं की कवियों द्वारा सराहना की गई।
काव्य गोष्ठी में खटीमा से पहुंचे कवि राम रतन यादव ने….
न जाने कितने ग़म सहकर लुटाते प्यार बच्चों पर,
पिता का प्यार तो, संसार में अनमोल होता है।
कवि राम चंद्र प्रजापति ‘दद्दा’, खटीमा ने
दरिया में बहाव ना हो तो दरिया की रवानी नहीं कहते,
त्रिलोचन जोशी ( टी. सी. गुरु), खटीमा ने
कथा भागवत सुन लो
माला जप लेना हर दम,
सत्कर्मों के बल पर ही हो पाते संकट कम।
टनकपुर से पहुंचे नीरज सिंह, ने
घर में जन्नत का सुख पाऊं, फिर क्यों मंदिर – मस्जिद जाऊं
डॉ नीलम पाण्डेय, ‘नीलिमा’ खटीमा
झंझावत जब झकझोरे पथ में
चाहे हो भय त्रास की आंधी
शांति देवी ‘शांति’, चकरपुर
मैं कोई आम नागरिक नहीं नेता हूं,
बस चुनाव में ही दर्शन देता हूं।हेमा जोशी ‘ परू’, खटीमा
फिर भी टूटी इस सरगम से जीवन का संगीत लिखा है
हमने उनको मनमीत लिखा है
पत्रकार/कवि दीपक फुलेरा ‘ बेबाक ने अपने काव्य पाठ में सुनाया
तू प्रीत भी मन प्रीत भी
बहार भी गुलजार भी,
हर कदम तू साथ मेरे
करता हैं मनुहार भी।
प्रकाश गोस्वामी ‘आक्रोश’, बनबसा
नेता बुलेट प्रूफ गाड़ियों में मौज उड़ाते हैं,
सीमाओं पर सैनिक नंगी छातियों पर गोली खाते हैं।
रविन्द्र पाण्डेय ‘पपीहा’, बनबसा
पत्थर ही सही लगा हूं तराशने में खुद को।
कुछ बन जाऊंगा तो मेरी भी कीमत होगी
डॉ. जगदीश पंत ‘कुमुद ‘ , चकरपुर।
वो देश पे मरते थे, ये फेस पे मरते हैं।
एक वो भी जवानी थी, एक ये भी जवानी है।।
बसंती सामंत, खटीमा
वक्त भर लेगा सारे जख्मों को,
तू महबूब से जख्म खाया कर
कविराज भट्ट, कंचनपुर, नेपाल।
ज़हर के चिज़ हो आंसू पिएका छन कथा मेरा।
रावेंद्र कुमार ‘रवि’, खटीमा।
मैं मां की बीमार आंखें देखने गया था
पर मां ने एक बार भी मुझे आंखें नहीं दिखाई।
चंद्रसेन वर्मा, बनबसा।
लगा बाज़ार किस्मत का यहां हर चीज बिकती है।
कैलाश पाण्डेय, खटीमा।
निर्वसन डालों में कोपल आ गए।
सत्यपाल सिंह ‘ सजग’ पीलीभीत,
मैं गीत लिखूं कैसे मन बहकाया तुमने।
नक्षत्र पाण्डेय, बनबसा।
संगति का गहरा असर होता है
अमूमन जिससे इंसां बेखबर होता है
श्याम वीर सिंह ‘चातक’, खटीमा ने पिता-पुत्र संबंध पर विभिन्न ग्रंथों तथा आध्यात्म रामायण से आचरण के संबंध में उद्गार व्यक्त किए गए।
कार्यक्रम के आयोजक रविन्द्र पांडेय ‘ पपीहा’ ने सभी का आभार व्यक्त किया।अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष नेपाल से पहुंचे साहितकार वीर बहादुर चंद ने समस्त कार्यक्रम की समीक्षा की तथा बलि प्रथा, नशा एवं अन्य कुरीतियों पर प्रहार किया।
कार्यक्रम में पंकज मुरारी, मदन मौनी, अनीता कांडपाल, हेमा पाठक, दीपा बिष्ट, पुष्प पुजारा समेत ग्लोरियस परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।