उत्तराखंड के नगर निकाय चुनाव में एक बार फिर फंसा पेंच, प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही आएगा ओबीसी आरक्षण पर फैसला
देहरादून। उत्तराखंड में होनें वाले नगर निकाय चुनाव में एक बार फिर पेंच फँसता नजर आ रहा है, प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही ओबीसी आरक्षण पर फैसला आने की सम्भावनाऐं प्रबल होनें लगी है, जिसके चलते 25 अक्टूबर तक चुनाव होनें के आसार नजर नहीं आ रहे है। उल्लेखनीय है उत्तराखंड के 99 नगर निकायों के चुनाव फंस गए हैं। विधानसभा में निकायों से संबंधित विधेयक पारित होने के बजाए प्रवर समिति को चला गया है। प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही अब चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी। दरअसल, निकायों में एकल सदस्यीय समर्पित आयोग की संस्तुति के हिसाब से ओबीसी आरक्षण लागू किया जाना है। इसके लिए सरकार सदन में नगर पालिका और नगर निगमों के एक्ट में संशोधन का एक्ट लेकर आई थी।
इस एक्ट के पारित होने के दौरान विधायकों के विरोध के चलते इन्हें प्रवर समिति को भेज दिया गया है। प्रवर समिति एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी, जिसके बाद दोबारा विशेष सत्र में विधेयक पास होंगे। विधेयक पास होने के बाद चुनाव होने तक की प्रक्रिया में भी एक से डेढ़ माह समय लगेगा। विधेयक पास होने के बाद जिलाधिकारी अपने जिले के निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन जारी करेंगे। इस पर आपत्तियां व सुझाव मांगे जाएंगे। उनकी सुनवाई पूरी होने के बाद डीएम अपनी रिपोर्ट शासन को भेजेंगे। उसके बाद शासन राज्य निर्वाचन आयोग को चुनाव की संस्तुति भेजेगा। तब कहीं जाकर राज्य निर्वाचन आयोग नोटिफिकेशन जारी करेगा। उसके बाद चुनाव होंगे। इन सभी प्रक्रियाओं में समय लग सकता है। फिलहाल 25 अक्तूबर तक की चुनाव टाइमलाइन फिर खतरे में नजर आनें लगी है । शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि चूंकि अब मामला प्रवर समिति के पास चला गया है, इसलिए समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। उन्होंनें कहा हमारी कोशिश है कि सत्रावसान नहीं हो, ताकि प्रवर समिति की रिपोर्ट आने के बाद विशेष सत्र में विधेयक पारित किए जा सकें। अलबत्ता इन हालातों को देखते हुए 25 अक्टूबर तक नगर निकाय चुनाव हो पाना सम्भव प्रतीत नहीं हो रहा है।