उत्तराखंड में वन उपजों की अभिवहन प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन।

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उत्तराखंड में वन उपजों की अभिवहन प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन।

टनकपुर (चम्पावत) उत्तराखंड में वनोपजों की अभिवहन प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सोमवार को तराई पूर्वी वन प्रभाग के सभागार में राष्ट्रीय पारगमन पास प्रणाली (एनटीपीएस) पर वन विभाग और वन निगम की दो दिवसीय संयुक्त कार्यशाला आयोजित का समापन हुआ। अपनी तरह की यह पहली कार्यशाला प्रबंध निदेशक और प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जी.एस. पांडे के नेतृत्व एवं उपस्थिति में आयोजित की गई, जिन्होंने उत्तराखंड में एनटीपीएस के शत-प्रतिशत क्रियान्वयन पर जोर दिया। इस आशय की जानकारी सोमवार की देर शाम मुदित आर्य प्रभागीय विक्रय प्रबंधक टनकपुर से प्राप्त हुई।

राष्ट्रीय पारगमन पास प्रणाली (एनटीपीएस नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम) भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का एक महत्वपूर्ण अधिदेश है। इसे वन उपज के लिए क्रेताओं को ट्रांजिट पास जारी करने को डिजिटल बनाने और सुव्यवस्थित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे अधिक पारदर्शिता, दक्षता और उपयोगकर्ता सुविधा सुनिश्चित होती है, एवं एक ट्रांजिट पास संपूर्ण देश के लिए मान्य होता है। कार्यशाला में एनटीपीएस के सफल राज्यव्यापी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग और वन निगम के बीच मजबूत समन्वय को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। रेंज अधिकारियों, डिपो अधिकारियों एवं कंप्यूटर ऑपरेटरों को एनटीपीएस प्रक्रियाओं पर व्यावहारिक प्रशिक्षण और लाइव अनुभवात्मक शिक्षण सत्र प्रदान किए गए, जिसमें पंजीकरण, आवेदन और ट्रांजिट पास की स्वीकृति शामिल है।

प्रबंध निदेशक और पी सी सी एफ, जी. एस. पांडे के निर्देशों के अनुसार, व्यापार करने में आसानी (इज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस) के दृष्टिकोण के अनुरूप वन विकास निगम के क्रेताओं को ट्रांजिट पास के लिए पंजीकरण और आवेदन करने में सहायता करने पर विशेष ध्यान दिया गया, ताकि प्रणाली को सुचारू रूप से अपनाया जा सके। जी.एस. पांडे ने परिवर्तनकारी पहल के रूप में एनटीपीएस के महत्व को दोहराया। उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय के आदेश के अनुरूप उत्तराखंड में एनटीपीएस के 100% कार्यान्वयन को प्राप्त करने के लिए वन विकास निगम की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सीसीएफ (कुमाऊं), डॉ. धीरज पांडे जिनके प्रयासों और विस्तृत योजना ने एनटीपीएस जागरूकता और प्रभागों में इसे अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, ने कार्यशाला के दौरान मार्गदर्शन बढ़ाया, उन्होंने विभागों के बीच सक्रिय सहयोग को प्रोत्साहित किया एवं पारदर्शिता बढ़ाने और वन प्रबंधन में हितधारकों के लिए संचालन को आसान बनाने में एनटीपीएस की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

कार्यशाला का संचालन डीएसएम टनकपुर, श्री मुदित आर्य (प्रांतीय वन सेवा) द्वारा किया गया, श्री आर्य द्वारा फील्ड अधिकारियों और डिपो कर्मचारियों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एनटीपीएस के उद्देश्यों को न केवल समझा जाए बल्कि उन्हें निर्बाध रूप से क्रियान्वित भी किया जाए। कार्यशाला में तराई पश्चिम और रामनगर डिवीजनों के वन रेंज अधिकारियों के साथ- साथ प्रभागीय विक्रय प्रबंधक, रामनगर के डिपो अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। उपस्थित वरिष्ठ गणमान्यों में सीसीएफ (कुमाऊं) और जीएम डॉ. धीरज पांडे, क्षेत्रीय प्रबंधक (कुमाऊँ) मयंक शेखर झा, डीएफओ तराई पूर्वी श्री हिमांशु बागड़ी, प्रशिक्षु आई एफ एस आदित्य रत्न, आरएम रामनगर हरीश पाल, डीएसएम हल्द्वानी उपेंद्र बर्वाल, डीएसएम रामनगर श्री जगदीश आर्य और गौला, पूर्व और पश्चिम हल्द्वानी के डीएलएम शामिल रहें ।

यह संयुक्त कार्यशाला उत्तराखंड में एनटीपीएस को पूर्ण रूप से अपनाने में एक महत्वपूर्ण पहल है एवं वन विभाग और वन विकास निगम के बीच भविष्य के सहयोगी प्रयासों के लिए एक मिसाल कायम करती है।

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