टनकपुर खटीमा हाइवे के बिचई के नजदीक रात में सड़क में घायल अवस्था तड़प रहे गौ वंशीयो को युवाओं नें पशु चिकित्सालय पहुंचाकर पेश की मानवता की मिशाल
टनकपुर (चम्पावत)। आज के समय में जहाँ तमाम युवा सामाजिक बुराई नशे की गिरफ्त में हैं, वहीं कुछ युवा ऐसे भी हैं जो मानवता की मिशाल कायम कर रहे हैं। ऐसा ही एक वाकया टनकपुर खटीमा हाइवे के बिचई के नजदीक का बताया जा रहा हैं, जहाँ दो गौ वंशीय सड़क पर घायल अवस्था में पड़े तड़प रहे थे।
तड़पते गौ वंशीयो का दर्द इन युवाओं से देखा नहीं गया। इन्होने अपने स्तर से वाहन का इंतजाम कर दोनों गौवंशीयो को पंचमुखी गौशाला पहुंचाया, जहाँ पशु चिकित्साधिकारी डॉ विजयपाल द्वारा दोनों पशुओ का उपचार किया गया ।
इससे पूर्व भी इन युवाओं द्वारा कई जानवरो को उपचार दिलाने में मदद की जा चुकी हैं। जो तथाकथित गौ रक्षकों और पशु प्रेमियों के लिए नसीहत हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार की रात कुछ युवा बनबसा से टनकपुर को आ रहे थे, बिचई के नजदीक इन्होने सड़क पर दो गौ वंशियों को घायल अवस्था में तड़पते देखा, इन्होंने इस सम्बन्ध में कई जगह फोन किया, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल पायी। थक हार कर इन्होंने अपने साथियों को फोन करनें के बाद घटनास्थल पर बुलाया और अपने स्तर से वाहन की व्यवस्था कर घायल गौ वंशीयो को गौशाला उपचार के लिए लेकर आये।
युवाओं नें बताया उस रात तमाम लोगों के अलावा एक उभरते हुए सामाजिक कार्यकर्ता को भी फोन किया, लेकिन वहां से भी कोई मदद नहीं मिली, सामाजिक कार्यकर्ता नें 112 पर सूचना देने की नसीहत देने के बाद फोन काट दिया। युवाओं नें बताया उसी दौरान उन्होंनें एक प्रेस रिपोर्टर से भी इस सम्बन्ध में सहायता किये जाने के लिए कॉल किया l जिन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए पशु चिकित्साधिकारी को इस सम्बन्ध में जानकारी देकर रात में ही गौ वंशीयो का उपचार कर युवाओं की मदद किये जाने का अनुरोध किया। युवाओं नें कहा डॉ विजयपाल द्वारा दोनों गौवंशीयो का रात में ही उपचार किया गया। जिसके लिए उन्होंनें पशु चिकित्साधिकारी का आभार जताया।
बताते चले युवाओं द्वारा घायल बेज़ुबान गौ वंशीयो की मदद किया जाना वास्तव में सराहनीय हैं, ऐसे में तथाकथित गौ सेवकों और सामाजिकता का दम्भ भरने वालों को वास्तव में इन युवाओं से नसीहत लेने की आवश्यकता हैं।
घायल गौ वंशियों को अक्कू, कल्लू, देवेंद्र यादव, अभिषेक बाल्मीकि, अंकित बाल्मीकि और जतिन बाल्मीकि द्वारा अपने संसाधनों से उपचार के लिए गौशाला लाया गया।