अनूठी पहल – उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत ने वनाग्नि की रोकथाम के लिए जागरूकता को पहली प्राथमिकता में किया शुमार।

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अनूठी पहल – उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत ने वनाग्नि की रोकथाम के लिए जागरूकता को पहली प्राथमिकता में किया शुमार।

चम्पावत। उत्तराखंड राज्य के वन विगत कई वर्षों से वनाग्नि की बढ़ती संख्याओं से अपने अस्तित्व को ही लेकर खतरे में रहे हैं, क्योंकि इस वनाग्नि से मात्र पेड़ पौधों को ही खतरा नहीं होता वरन जंगलों में रहने वाले सभी पक्षी जानवर भी इससे पूर्ण रूप से प्रभावित रहते हैं। इस गंभीर विषय को लेकर उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो दुर्गेश पंत ने इसका समाधान खोजना प्रारंभ किया और पाया कि जंगलों की आग को रोकने के लिए प्रत्येक नागरिक का जागरूक रहना जरूरी है और साथ ही उत्तराखंड के जंगलों से पीरूल को हटाना भी जरूरी है। इस हेतु पीरूल का व्यावसायिक प्रयोग आवश्यक है, जिससे कि ग्रामीण स्वयं पीरूल को जंगल से हटाएं और इसका वित्तीय लाभ भी लें, प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा वन विभाग के माध्यम से पीरूल की खरीद योजना भी प्रारंभ की गई और यूकॉस्ट के सपने को और उड़ान मिली, इसके तहत् जिलाधिकारी चम्पावत ने चम्पावत जिले के भिगराड़ा क्षेत्र में बंद पड़े जूनियर हाई स्कूल के भवन का प्रयोग करने की अनुमति प्रदान कर भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून के साथ तकनीकी सहयोग कर पीरूल से ब्रिकेट बनाने की योजना पर कार्य शुरू किया। यह ब्रिकेट तकनीकी रूप से काफी ज्वलनशील और दाम की दृष्टि से किफायती साबित हुई, वर्तमान में जनपद चंपावत के भिगराड़ा की यह पीरूल ब्रिकेट यूनिट काफी लोकप्रिय है। क्योंकि एक ओर यह मुख्यमंत्री के जंगलों को आग से मुक्त करते हुए स्थानीय समुदाय की आय में वृद्धि करने के साथ साथ व्यावसायिक प्रयोग में लकड़ियों के स्थान पर पीरूल ब्रिकेट का प्रयोग बढ़ने लगा है, के सभी उद्देश्यों को पूरा कर रही है।

प्रो दुर्गेश पंत इस परियोजना के बारे में कहते हैं कि यूकॉस्ट द्वारा वर्तमान में अपनी पहली यूनिट के सफल संचालन के पश्चात् जल्दी ही चम्पावत जिले के साथ साथ प्रदेश के अन्य जिलों में पीरूल यूनिट की स्थापना पर विचार किया जा रहा है, मुख्यमंत्री द्वारा वन विभाग को पीरूल की खरीद करने का अभूतपूर्व निर्णय है, साथ ही उत्पादित ब्रिकेट के बाजार खोजने के लिए भी यूकॉस्ट अपनी ओर से पूरा कार्य कर रहा है। जिससे कि इस कार्य में लगे सभी लोग उत्साहित रहें। गौरतलब है कि इस ब्रिकेट यूनिट के अलावा प्रो पंत द्वारा प्रेरित स्याहीदेवी शीतलाखेत मॉडल, जो कि जंगलों की आग को रोकने का सामुदायिक मॉडल बन चुका है, को माननीय मुख्यमंत्री द्वारा सराहा गया है , प्रो पंत कहते हैं इस महत्वपूर्ण कार्य में यूकॉस्ट के साथ साथ वन जिला प्रशासन , वन विभाग और स्थानीय समुदाय की भागीदारी आवश्यक है। जंगलों की आग को रोकने में स्थानीय समुदाय ही सबसे महत्वपूर्ण है इनके सहयोग से ही सब कुछ संभव है और भिगराड़ा के उज्जवला महिला ग्राम संगठन ने यह कर दिखाया है और आज पूरे प्रदेश में जंगल की आग को रोकने के प्रयास में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने में सफल रहा है।

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